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दोहा: मन –8 नयन  खुले या बंद  हों, मन  कब सोये  म

दोहा: मन –8

नयन  खुले या बंद  हों, मन  कब सोये  मीत।
मन तो पवन समान है, मन का किससे प्रीत।८।

©दिनेश कुशभुवनपुरी
  #दोहा_मन_8