सावन का इतराना जायज़ है। ये बारिश लाये ना लाये लेकिन साथ अपने बारिश की उम्मीद तो लाता है।। ये तो सच बात है , बिना बरसात के सावन ..... सावन नहीं लगता । बिना बरसात के सावन.... मात्र एक महीना सा जान पड़ता है , बल्कि मौसम नहीं....। ऐसा ही मनुष्य का हल होता है । बिना कर्म के मनुष्य एक मिट्टी का ढेला होता है....., इसके अलावा और कुछ नहीं । _________________________________________________ Picture credit - Pinterest _________________________________________________