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सावन का इतराना जायज़ है। ये बारिश लाये ना लाये लेकि

सावन का इतराना
जायज़ है।
ये बारिश लाये ना लाये
लेकिन साथ अपने 
बारिश की 
उम्मीद तो लाता है।। ये तो सच बात है , बिना बरसात के सावन ..... सावन नहीं लगता । बिना बरसात के सावन.... मात्र एक महीना सा जान पड़ता है , बल्कि मौसम नहीं....। 
ऐसा ही मनुष्य का हल होता है । बिना कर्म के मनुष्य एक मिट्टी का ढेला होता है....., इसके अलावा और कुछ नहीं । 

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Picture credit - Pinterest
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सावन का इतराना
जायज़ है।
ये बारिश लाये ना लाये
लेकिन साथ अपने 
बारिश की 
उम्मीद तो लाता है।। ये तो सच बात है , बिना बरसात के सावन ..... सावन नहीं लगता । बिना बरसात के सावन.... मात्र एक महीना सा जान पड़ता है , बल्कि मौसम नहीं....। 
ऐसा ही मनुष्य का हल होता है । बिना कर्म के मनुष्य एक मिट्टी का ढेला होता है....., इसके अलावा और कुछ नहीं । 

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