इतिहास गवाह है हमेशा किले के दरवाज़े अंदर से ही खोले गए है। #शिवाजी की शमशीरें, #जयसिंह ने ही रोकी थीं, #पृथ्वीराज की पीठ में बरछी, #जयचंदों नें भोंकी थी । #हल्दीघाटी में बहा लहू, शर्मिंदा करता पानी को, #राणा_प्रताप सिर काट काट, करता था भेंट भवानी को। #राणा रण में उन्मत्त हुआ, #अकबर की ओर चला चढ़ के, #अकबर के #प्राण बचाने को, तब #मान_सिंह आया बढ़ के। इक #राजपूत के कारण ही, तब वंश #मुगलिया जिंदा था, ©Shivam Tiwari #Silence