जिंदगी के हर मौसम में वो राहतों सा पूछा उसने क्यों ना हो सकूं में चाहतो सा, कैसे समझाऊं उसे चाहते बन जाती है कई बार धूप और बारिशो का हिस्सा तो कभी बन कर रह जाती है बस एक बीती मौसम का किस्सा, पर राहते रहती है ताउम्र सुनती हुई मेरा हर तजुर्बा समझती हुई मेरा आधा पूरा किस्सा, जिसके सहारे कहानी मैं लिखता रहूं उतना जरूरी वो की जरूरत होकर भी ना बना सकूं उसे मेरी कहानी का हिस्सा। 🧡📙📙🧡 #uniqueperson #supportsystem #specialperson #friendship #love #life #hindipoems #grishmapoems