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#OpenPoetry !! यकीन जानिए मैं भी उरूज पर ह

#OpenPoetry !!  यकीन   जानिए  मैं  भी  उरूज  पर  होता!!
!!  मेरा   नसीब   अगर   मेरा    राहबर   होता!!

!! अमीर ए  शहेर से मुझको  कोई मलाल नहीं!!
!! मलाल  ये  है  की  अपना भी कोई घर होता!!

!! इसी  खयाल में  खोया  था  खो गई  मंज़िल!!
!!  सफर  में  साथ  मेरे  कोई  हम  सफर होता!! 

!! उठेगी  खाक़  मेरी  तो  यही   खलिश  होगी!! 
!!किसी का अश्क से दामन भी तर ब तर होता!!

!!  अभी  तो   कद्र  नहीं  वालिदैन  की  लेकिन!!
!! कभी  ज़रूर  ये  सोचो  गे  इक  शजर  होता!!

!! तुझे  बहिश्त  की  कुछ फिक्र ही नहीं आदम!!
!!खुदा  के  खौफ  से  सजदे  में वर्ना  सर होता!! 

!! पढ़े   हैं   मैने   कसीदे   तमाम    फिरकों   के!! 
!! अगर  कुरआन  भी पढ़ता  ना दर ब दर होता!!

मौहम्मद इब्राहीम सुल्तान मिर्जा !!  यकीन   जानिए  मैं  भी  उरूज  पर  होता!!
!!  मेरा   नसीब   अगर   मेरा    राहबर   होता!!

!! अमीर ए  शहेर से मुझको  कोई मलाल नहीं!!
!! मलाल  ये  है  की  अपना भी कोई घर होता!!

!! इसी  खयाल में  खोया  था  खो गई  मंज़िल!!
!!  सफर  में  साथ  मेरे  कोई  हम  सफर होता!!
#OpenPoetry !!  यकीन   जानिए  मैं  भी  उरूज  पर  होता!!
!!  मेरा   नसीब   अगर   मेरा    राहबर   होता!!

!! अमीर ए  शहेर से मुझको  कोई मलाल नहीं!!
!! मलाल  ये  है  की  अपना भी कोई घर होता!!

!! इसी  खयाल में  खोया  था  खो गई  मंज़िल!!
!!  सफर  में  साथ  मेरे  कोई  हम  सफर होता!! 

!! उठेगी  खाक़  मेरी  तो  यही   खलिश  होगी!! 
!!किसी का अश्क से दामन भी तर ब तर होता!!

!!  अभी  तो   कद्र  नहीं  वालिदैन  की  लेकिन!!
!! कभी  ज़रूर  ये  सोचो  गे  इक  शजर  होता!!

!! तुझे  बहिश्त  की  कुछ फिक्र ही नहीं आदम!!
!!खुदा  के  खौफ  से  सजदे  में वर्ना  सर होता!! 

!! पढ़े   हैं   मैने   कसीदे   तमाम    फिरकों   के!! 
!! अगर  कुरआन  भी पढ़ता  ना दर ब दर होता!!

मौहम्मद इब्राहीम सुल्तान मिर्जा !!  यकीन   जानिए  मैं  भी  उरूज  पर  होता!!
!!  मेरा   नसीब   अगर   मेरा    राहबर   होता!!

!! अमीर ए  शहेर से मुझको  कोई मलाल नहीं!!
!! मलाल  ये  है  की  अपना भी कोई घर होता!!

!! इसी  खयाल में  खोया  था  खो गई  मंज़िल!!
!!  सफर  में  साथ  मेरे  कोई  हम  सफर होता!!