प्रेम की अपनी आँखें नहीं होती वो हसरतें हैं जो उसे आगे बढ़ाता है वो चाहतें हैं जो उसे ऊपर उठाता है वो किस्मत है जो उसे ठोकर खिलाता है वो त्याग है जो उसे जीत दिलाता है वो स्वार्थ है जो उसे पराजित करता है प्रेम हृदय का भाव है कोई अंग नहीं जो अँधा हो! Prem#hriday#ka#bhaw#hai#koi#ang#nh#jo#andha#ho#nojoto