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महँगाई और हम जैसे साथ चल रहे हैं ज़िंदगी के दो पल भ

महँगाई और हम जैसे साथ चल रहे हैं
ज़िंदगी के दो पल भी अब भारी पड़ रहे हैं
आमदनी घट रही जरूरत बढ़ रही हैं
महँगाई के आगे मेहनत कम पड़ रही हैं नमस्कार लेखकों/कातिबों

1:आज के इस विषय पर अपने बहुमूल्य विचार रखें।

2: आपको केवल 4 पंक्तियाँ लिखनी हैं। वर्तनी एवं विचार की शुद्धता बनाए रखें।

3: आप हमारी कोट को हाइलाइट करें।
महँगाई और हम जैसे साथ चल रहे हैं
ज़िंदगी के दो पल भी अब भारी पड़ रहे हैं
आमदनी घट रही जरूरत बढ़ रही हैं
महँगाई के आगे मेहनत कम पड़ रही हैं नमस्कार लेखकों/कातिबों

1:आज के इस विषय पर अपने बहुमूल्य विचार रखें।

2: आपको केवल 4 पंक्तियाँ लिखनी हैं। वर्तनी एवं विचार की शुद्धता बनाए रखें।

3: आप हमारी कोट को हाइलाइट करें।
akankshagupta7952

Vedantika

New Creator

नमस्कार लेखकों/कातिबों 1:आज के इस विषय पर अपने बहुमूल्य विचार रखें। 2: आपको केवल 4 पंक्तियाँ लिखनी हैं। वर्तनी एवं विचार की शुद्धता बनाए रखें। 3: आप हमारी कोट को हाइलाइट करें।