हे जग जननी!माता भवानी, हृदय में प्रेम की जोत जगा दे, करुणा करो हे ज्ञान की देवी! हम मूढ़,सद्बुद्धि बोध करा दे¡ शब्द की भाव से, हूँ अभाव निरंतर, किस विधि करूं मैं माँ तेरी चिंतन, धरा नूतन स्वर,राग हे रागिनी! नवल धवल शब्द योग सिखा दे¡¡ पग कमल धर धरि हंस आसन, माँ तेरी कर से है जग ज्ञान शासन, बहे काव्य सरिता चरणन माता, एक बार दास को गोता लगा दे¡¡ जग झूठी कृति,फंसा माया की रीति, मिथुन करे सदा,माँ चरण प्रीति, फंसे नैया बीच मझधार हे ज्ञानी! खेवैया भव पार नैया लगा दे¡¡ ✍️---मिथुन --- ©Mithun kumar जय माँ शारदा