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#RDV18 एकता में अनेकता (यह कविता मेरे और मेरे मित

#RDV18
एकता में अनेकता

(यह कविता मेरे और मेरे मित्र के बीच हुई वार्ता का एक काव्य रूप है । पहले दो बन्ध मेरे मित्र द्वारा कही गयी बाते हैं जो इस विविधता को देश की कमज़ोरी समझता है। अन्तिम दो बन्ध  मेरे द्वारा उसको एक जवाब है और उन सभी समुदायों को एक नसीहत भी है जिनके कृत्य, मेरे दोस्त जैसे देश के असंख्य लोगों को ऐसा सोचने मे मजबूर कर देते हैं । ) 


भाषा अलग, त्योहार अलग, हैं परंपराऐं भिन्न भिन्न ।
परिधान अलग, भगवान अलग, हैं प्रार्थनायें भिन्न भिन्न ।।

#RDV18 एकता में अनेकता (यह कविता मेरे और मेरे मित्र के बीच हुई वार्ता का एक काव्य रूप है । पहले दो बन्ध मेरे मित्र द्वारा कही गयी बाते हैं जो इस विविधता को देश की कमज़ोरी समझता है। अन्तिम दो बन्ध  मेरे द्वारा उसको एक जवाब है और उन सभी समुदायों को एक नसीहत भी है जिनके कृत्य, मेरे दोस्त जैसे देश के असंख्य लोगों को ऐसा सोचने मे मजबूर कर देते हैं । ) भाषा अलग, त्योहार अलग, हैं परंपराऐं भिन्न भिन्न । परिधान अलग, भगवान अलग, हैं प्रार्थनायें भिन्न भिन्न ।।

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