किसी की मजबूरी नही मजबूती बनना पसंद करो। मजबुरी मनोपरांत है मजबुती मन मुराद होती है। किसी की मजबूरी नही मजबूती बनना पसंद करो। मजबुरी मनोपरांत है मजबुती मन मुराद होती है।