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आखिर क्यों किसी और का हो रहा हूँ मैं, ये कहाँ खो र

आखिर क्यों किसी और का हो रहा हूँ मैं, ये कहाँ खो रहा हूँ मैं,
आजकल किसी और के लिए क्यों रो रहा हूँ मैं, ये कहाँ खो रहा हूँ मैं।
ये दिल पागल है कि बाज ही नहीं आता, किसी और का हुआ जा रहा है,
अपने ख्वाबों को छोड़कर किसी और के ख्यालों में जी रहा हूँ, ये कहाँ खो रहा हूँ मैं।। ये कहाँ खो रहा हूँ मैं
आखिर क्यों किसी और का हो रहा हूँ मैं, ये कहाँ खो रहा हूँ मैं,
आजकल किसी और के लिए क्यों रो रहा हूँ मैं, ये कहाँ खो रहा हूँ मैं।
ये दिल पागल है कि बाज ही नहीं आता, किसी और का हुआ जा रहा है,
अपने ख्वाबों को छोड़कर किसी और के ख्यालों में जी रहा हूँ, ये कहाँ खो रहा हूँ मैं।। ये कहाँ खो रहा हूँ मैं
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