मुठ्ठी भर हिम्मत तूफ़ानों से गज भर मोहलत अरमानों से थोड़ी छुट्टी उम्मीदों से पल भर कुट्टी सुकुनो से और करके तैयारी एक नए सफर की निकल पड़े हैं तूफ़ानों में गैर हुए अब अरमानों से नहीं वास्ता उम्मीदों से हर एक रास्ता अब उस सफर पे जहां से हिम्मत नही कभी हारी जहां से जीत की है तैयारी जहां से तूफां भी हैं टलते गिरते कदम भी जहां संभलते उच्च स्वर उच्च नाद है जिसका जिससे जीवन है संवरता द्रवित तूफां अब हुए हैं साथी छोटी बातें अब नही भाती अब है नाता ऊच्चाई से जीवन की हर गहराई से हार जीत से दूर हुए अब राग द्वेष सब दूर हुए अब अब जीवन है जीवन जैसा जैसा चाहा बिल्कुल वैसा ।। ___सुषमा नैय्यर मुठ्ठी भर हिम्मत तूफ़ानों से गज भर मोहलत अरमानों से थोड़ी छुट्टी उम्मीदों से पल भर कुट्टी सुकुनो से और करके तैयारी एक नए सफर की निकल पड़े हैं तूफ़ानों में गैर हुए अब अरमानों से नहीं वास्ता उम्मीदों से