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रोशनी हो चाहे अंधेरा हो। तुम अगर साथ हो तो सवेरा ह

रोशनी हो चाहे अंधेरा हो।
तुम अगर साथ हो तो सवेरा हो।

तुम वो लम्हा हो जो हर पहर रहती हो।
फिर पास हो या कहीं और रहती हो।

बस मिलना एक आध बार हुआ तुमसे।
याद ऐसे हो जैसे शाम हर रोज बा दस्तूर रहती हो।

लब इस फ़िराक में है कब लब से लम्श हो।
तुम दूर हो जैसे अशरफी फकीरों से दूर रहती हो।

साथ नहीं चलती हो क्यों,जिंदगी ऐसे लगती है।
जैसे बिना सेल के कोई घड़ी रूक के चलती हो।

तुम्हारे तबस्सुम में सबसे कीमती सुकून है।
मौजूदगी में फूलों से भी बेहतर महकती हो।

तस्वीर मेरी जो तुम्हारे साथ है,देख कर लगता है।
जैसे काली तख्ती पर सफ़ेद स्याही चमकती हो।

 बा दस्तूर: पहले की तरह
तबस्सुम: मुस्कान
रोशनी हो चाहे अंधेरा हो।
तुम अगर साथ हो तो सवेरा हो।

तुम वो लम्हा हो जो हर पहर रहती हो।
फिर पास हो या कहीं और रहती हो।

बस मिलना एक आध बार हुआ तुमसे।
याद ऐसे हो जैसे शाम हर रोज बा दस्तूर रहती हो।

लब इस फ़िराक में है कब लब से लम्श हो।
तुम दूर हो जैसे अशरफी फकीरों से दूर रहती हो।

साथ नहीं चलती हो क्यों,जिंदगी ऐसे लगती है।
जैसे बिना सेल के कोई घड़ी रूक के चलती हो।

तुम्हारे तबस्सुम में सबसे कीमती सुकून है।
मौजूदगी में फूलों से भी बेहतर महकती हो।

तस्वीर मेरी जो तुम्हारे साथ है,देख कर लगता है।
जैसे काली तख्ती पर सफ़ेद स्याही चमकती हो।

 बा दस्तूर: पहले की तरह
तबस्सुम: मुस्कान