ता-उम्र याद रखेगा दिल एहसान तुम्हारा, दूर होने के बाद भी रखेगा ध्यान तुम्हारा। यूँ ही बेमन से मत आया-जाया करो तुम, होने नहीं देगा, यह कोई ज़ियान तुम्हारा। आसान नहीं, तो ना-मुमकिन भी नहीं है, मोहब्बत में बनेगा, यह तर्जुमान तुम्हारा। तीखी सी हँसी हो या बात में हों तल्ख़ियाँ, तब भी रहेगा ये नाचीज़, मेज़बान तुम्हारा। इतनी बातें करने की ज़रूरत नहीं है 'धुन', यूँ ही चलेगा साथ, ये जहाज़-रान तुम्हारा। ज़ियान- Loss तर्जुमान- Facilitator ♥️ Challenge-541 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :)