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कोई दबता नहीं है अब कुचलने से जमाने में। लोग गिरते

कोई दबता नहीं है अब कुचलने से जमाने में।
लोग गिरते हैं क्यों मेरे संभलने से जमाने में।।
हवा दिशा बदलती हैं,रंग रिश्ते बदलते हैं,
फरक पड़ता नही मौसम बदलने से जमाने में।।

दुकानें अपने मतलब कीं खोलने को जमाने में।
दोस्ती खेल है अच्छा खेलने को जमाने में।।
जनम है सात जिंदगी दोबारा मिल भी जाएगी,
जनम कम है ये सच्चे दोस्त मिलने को जमाने में।।

                                               समीर शेख़ मतलब.....मतलब.....मतलबी दोस्त  #matlab #matlabidost #matlabiduniya
कोई दबता नहीं है अब कुचलने से जमाने में।
लोग गिरते हैं क्यों मेरे संभलने से जमाने में।।
हवा दिशा बदलती हैं,रंग रिश्ते बदलते हैं,
फरक पड़ता नही मौसम बदलने से जमाने में।।

दुकानें अपने मतलब कीं खोलने को जमाने में।
दोस्ती खेल है अच्छा खेलने को जमाने में।।
जनम है सात जिंदगी दोबारा मिल भी जाएगी,
जनम कम है ये सच्चे दोस्त मिलने को जमाने में।।

                                               समीर शेख़ मतलब.....मतलब.....मतलबी दोस्त  #matlab #matlabidost #matlabiduniya
sameer6560224054662

sameer

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मतलब.....मतलब.....मतलबी दोस्त #matlab #matlabidost #matlabiduniya