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कि रंजिशें बड़ी की तुमने चंद खताओं को लेकर, उन परिं

कि रंजिशें बड़ी की तुमने चंद खताओं को लेकर,
उन परिंदों के पंख कुतर डाले हवाओं को लेकर.....

और एक गुलाब तो चुना न गया बागान में तुमसे,
काँटा लगते ही सारा बागान कुचल डाला फ़िज़ाओं को लेकर.

ऐसा नही कि हमारे मुँह में तुम्हारी ज़ुबान बैठी है,
कि जो कहुँ वो हो सिर्फ तुम्हारी दुवाओं को लेकर....

मैं जानता हूँ सफ़र थम जाएगा बीच मे ही तुम्हारा,
जो समुंदर कि सैर पर निकले हो छोटी सी नाओ को लेकर...

व मैं मोहित हूँ कोई कतरा नही किसी शहर का,
तुम तो आसमां सर पे उठा लेते हो गाँव को लेकर.... #Katra shahar ka...
कि रंजिशें बड़ी की तुमने चंद खताओं को लेकर,
उन परिंदों के पंख कुतर डाले हवाओं को लेकर.....

और एक गुलाब तो चुना न गया बागान में तुमसे,
काँटा लगते ही सारा बागान कुचल डाला फ़िज़ाओं को लेकर.

ऐसा नही कि हमारे मुँह में तुम्हारी ज़ुबान बैठी है,
कि जो कहुँ वो हो सिर्फ तुम्हारी दुवाओं को लेकर....

मैं जानता हूँ सफ़र थम जाएगा बीच मे ही तुम्हारा,
जो समुंदर कि सैर पर निकले हो छोटी सी नाओ को लेकर...

व मैं मोहित हूँ कोई कतरा नही किसी शहर का,
तुम तो आसमां सर पे उठा लेते हो गाँव को लेकर.... #Katra shahar ka...

#katra shahar ka...