"बड़ी शिद्दत संभाला अपने जज्बातों को, 'मखमली ख्वाबों से बुना अपने ख्यालों को, 'शहद से भिगोया अपने अल्फाजों को, 'कतरा कतरा भरा है प्रेम से, 'महक है मेरी सांसो में, 'छलकती काजल भरी आंखों से, 'नाज ओ नखरो से पली, 'सादगी चंचलता और सरलता, 'निश्चल कल कल करती, 'बहती अविरल नदिया जैसी, 'खुद में ही ग़ुम हूं,'खुद में ही खुश हूं, 'मैं खुशी बिखेरतीं हूं,चारों तरफ, 'हंसती खिलखिलाती' ये आंखें, रोते हुए को भी हंसा देती, 'बोर उबाओ चेहरे क्यों रहते, 'जिंदगी है चार दिन की, 'हंस लो खिलखिला लो,,,, "बड़ी शिद्दत संभाला अपने जज्बातों को, 'मखमली ख्वाबों से बुना अपने ख्यालों को, 'शहद से भिगोया अपने अल्फाजों को, 'कतरा कतरा भरा है प्रेम से, 'महक है मेरी सांसो में, 'छलकती काजल भरी आंखों से, 'नाज ओ नखरो से पली, 'सादगी चंचलता और सरलता,