Nojoto: Largest Storytelling Platform

दूरियाँ खल रहीं हैं अब इश्क.. बस का नहीं ..अब थक

दूरियाँ खल रहीं हैं अब
इश्क.. बस का नहीं ..अब

थक चुके हैं हम भी..और मेरे शब्द सब
हर बार न जाने क्यों 
दिल कह रहा 
इश्क.. बस का नही...अब  

ना करो जान तुम इतनी साजिशे...
यूं बेपरवाह होने की नुमाइशें
पूरी करो ना तुम ..मेरी भी कुछ ख्वाईशें
साथ  हों हम - तुम और बारिशें


इन हालातो में हम कितना सवार के रखें खुद को 
बताओ ना तुम 
आखिर बिखर जाते हैं ये कमबख्त काजल ...
कुछ हल बताओ ना तुम 

खत्म कर ये मिलों का फासला 
एक पल को आओ ना तुम 
बैठे हैं हम इंतजार में... जान ! सुनो ..
ऐसे तो ना सताओ  तुम

©Sukriti Shandilya इश्क बस का नही
दूरियाँ खल रहीं हैं अब
इश्क.. बस का नहीं ..अब

थक चुके हैं हम भी..और मेरे शब्द सब
हर बार न जाने क्यों 
दिल कह रहा 
इश्क.. बस का नही...अब  

ना करो जान तुम इतनी साजिशे...
यूं बेपरवाह होने की नुमाइशें
पूरी करो ना तुम ..मेरी भी कुछ ख्वाईशें
साथ  हों हम - तुम और बारिशें


इन हालातो में हम कितना सवार के रखें खुद को 
बताओ ना तुम 
आखिर बिखर जाते हैं ये कमबख्त काजल ...
कुछ हल बताओ ना तुम 

खत्म कर ये मिलों का फासला 
एक पल को आओ ना तुम 
बैठे हैं हम इंतजार में... जान ! सुनो ..
ऐसे तो ना सताओ  तुम

©Sukriti Shandilya इश्क बस का नही

इश्क बस का नही #Shayari