जब अपने पहलू में उसका ख्याल बिठाता हूँ मैं इंतज़ार को भी इंतज़ार करना सिखाता हूँ वो तो मेरे बिना ज़िंदा रहना सीख गयी है मैं उसको न सोचूं तो आज भी मर जाता हूँ वो मेरे मुंह पर अक्सर वादे को तोड़ा करती है मैं उन्हें उसके पीठ पीछे भी निभाता हूँ उसके किसी भी पल में मेरा नाम नहीं है अब मैं अपनी आठों पहर उसे सोचकर बिताता हूँ Miss you so much dear @ss