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और अंततः कृष्ण ने मां वसुंधरा के साथ छल करती, महाम

और अंततः कृष्ण ने मां वसुंधरा के साथ छल करती, महामाया को भ्रमित करती, मातृसत्ता पर हावी होती पितृसत्ता का अंत करने हेतु परमेश्वरी का आवाहन किया।
परमेश्वरी ने अग्नि से उत्पन्न होकर पितृसत्ता के विरुद्ध धर्म-युद्ध किया।
युद्धोपरांत धर्म की विजय हुई, सत्य स्थापित हुआ, पितृसत्ता क्षीण हुई और ब्रम्हांड संतुलित हो गया।
मां वसुंधरा की तृप्ति हेतु फिर परमेश्वरी ने अंधकार और कायरता की छाती चीर कर मां वसुंधरा की क्षुधा शांत की और उसी रक्त-प्रवाह से अपने "कुंतल-केश" धोए।
स्वर्ग से देवताओं ने पुष्प-बर्षा प्रारंभ की और आकाश में "दामिनी-गुंजन" आरंभ हो गया।
न्याय घटित हुआ और गंगा सदैव के लिए पवित्र हो गई, यमुना सदैव के लिए स्थिर हो गई और सरस्वती ने पाया ...."मोक्ष"।।

©Pranjal #Quotes #Damini #Nirbhaya #Delhirapecase  #Delhi_Riots
और अंततः कृष्ण ने मां वसुंधरा के साथ छल करती, महामाया को भ्रमित करती, मातृसत्ता पर हावी होती पितृसत्ता का अंत करने हेतु परमेश्वरी का आवाहन किया।
परमेश्वरी ने अग्नि से उत्पन्न होकर पितृसत्ता के विरुद्ध धर्म-युद्ध किया।
युद्धोपरांत धर्म की विजय हुई, सत्य स्थापित हुआ, पितृसत्ता क्षीण हुई और ब्रम्हांड संतुलित हो गया।
मां वसुंधरा की तृप्ति हेतु फिर परमेश्वरी ने अंधकार और कायरता की छाती चीर कर मां वसुंधरा की क्षुधा शांत की और उसी रक्त-प्रवाह से अपने "कुंतल-केश" धोए।
स्वर्ग से देवताओं ने पुष्प-बर्षा प्रारंभ की और आकाश में "दामिनी-गुंजन" आरंभ हो गया।
न्याय घटित हुआ और गंगा सदैव के लिए पवित्र हो गई, यमुना सदैव के लिए स्थिर हो गई और सरस्वती ने पाया ...."मोक्ष"।।

©Pranjal #Quotes #Damini #Nirbhaya #Delhirapecase  #Delhi_Riots
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Pranjal

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