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अंधकार कितना भी गहरा हो चाँद बादलों के बिच छिप गया

अंधकार कितना भी गहरा हो
चाँद बादलों के बिच छिप गया हो
दूर तलक सन्नाटा पसरा हुआ हो
निशाचरो के डरावने चित्कार
कलेजे में चुभते हो.किंतु 
डर नहीं हमें
साथी स्वरूप में जब तू मेरे साथ हो.

©Manisha Keshav
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