अन्जे इश्क़ की बंजर कब से थी, जो दरख़्त यादों के लग जाये, ऐसे अब्र आंसुओं की बारिश हो, कि सारे भ्रम हवा में गुब्बार हो जाये ©Mona Pareek #jameen