बिन बारिश यूं पत्तो पर रात नमी क्यों रखी थी,, मरे तो खुदा से पूछेंगे मुझमें कमी क्यों रखी थी।। वो कभी जो सोता था लिपट के मेरी बाहों में,, कल अजनबी के संग जो सोया सांसे थमी क्यों रखी थी।। वो जब हस्ती थी मेरे संग तू बारिश करवाता था,, मैं रोया तो फ़िर भी बारिश चाल बेमौसमी रखी थी।। रात को शायरदीवाना ज़हर पी गया यादों का,, सुबह हुई तो चीख-पुकारें भीड़ जमी क्यों रखी थी।। #शायरदीवाना💔💔💔 ©Piyush Bansal (Shayardeewana)😊 भीड़ - शायरदीवाना💔💔 #WritersSpecial