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तेरी कैद से खुद को रिहा कर रहा हूँ मैं, ना जाने कौ

तेरी कैद से खुद को रिहा कर रहा हूँ मैं,
ना जाने कौन सी रात आखिरी हो,
तुम्हारा नहीं कजा का इंतजार कर रहा हूँ मैं,
तुम्हें मोहब्बत में शर्तें चाहिए,
इश्क कर रहा था कौन सा व्यापार कर रहा हूँ मैं,
तुझे पाने से पहले ही खोने के वस्वसे हैं,
तभी खुद को तुझसे जुदा कर रहा हूँ मैं,
तुझे अपना बनाने से बेहतर है तू मुस्तकबिल ही रहे,
अब ये ना कहना के गलत कर रहा हूँ मैं,
कब तलक दिल को तस्कीन रखूं मैं,
अब अपने ही दिल से बगावत कर रहा हूँ मैं,
मेरी मोहब्बत का मुशाहिदा जब करोगे,
तो समझोगे के अब तुम्हारी नजरअंदाजी का कफारा कर रहा हूँ मैं,
मेरा रायदा था के तुम समझो मुझे,
तुम्हे इल्म नहीं के अब तक तुम्हे पाने के लिये फाका कर रहा हूँ मैं,
तुम्हे भी शिकवा ही रहा मुझसे मुझे समझा भी नहीं कोई,
पतझड़ में वसूक का इंतजार ही गलत कर रहा हूँ मैं,
कभी सोचना तुम्हारे लिए क्यूँ मैं आशुफ्ता रहा,
गुजिश्ता से आज तक भी तुम्हारा तआकुब कर रहा हूँ मैं,
ये मोहब्बत की तौहीन गवारा कैसे हो,
इस एक तरफा नाते को अब तकमील कर रहा हूँ मैं,
तुम समझे नहीं के ख़ुलूस क्या है,
मैं तो समझा था के अपने इश्क से तुम्हे मुतआस्सिर कर रहा हूँ मैं,
मुतमईन हूँ अपनी मोहब्बत से तो मैं,
के अब तक भी तुम्हे इश्क के लिए यत्न कर रहा हूँ मैं,
खैर! अब इस नाते को तकमील कर रहा हू मैं...!!!

©Virat Tomar #तकमील #ख़ुलूस 

#alone
तेरी कैद से खुद को रिहा कर रहा हूँ मैं,
ना जाने कौन सी रात आखिरी हो,
तुम्हारा नहीं कजा का इंतजार कर रहा हूँ मैं,
तुम्हें मोहब्बत में शर्तें चाहिए,
इश्क कर रहा था कौन सा व्यापार कर रहा हूँ मैं,
तुझे पाने से पहले ही खोने के वस्वसे हैं,
तभी खुद को तुझसे जुदा कर रहा हूँ मैं,
तुझे अपना बनाने से बेहतर है तू मुस्तकबिल ही रहे,
अब ये ना कहना के गलत कर रहा हूँ मैं,
कब तलक दिल को तस्कीन रखूं मैं,
अब अपने ही दिल से बगावत कर रहा हूँ मैं,
मेरी मोहब्बत का मुशाहिदा जब करोगे,
तो समझोगे के अब तुम्हारी नजरअंदाजी का कफारा कर रहा हूँ मैं,
मेरा रायदा था के तुम समझो मुझे,
तुम्हे इल्म नहीं के अब तक तुम्हे पाने के लिये फाका कर रहा हूँ मैं,
तुम्हे भी शिकवा ही रहा मुझसे मुझे समझा भी नहीं कोई,
पतझड़ में वसूक का इंतजार ही गलत कर रहा हूँ मैं,
कभी सोचना तुम्हारे लिए क्यूँ मैं आशुफ्ता रहा,
गुजिश्ता से आज तक भी तुम्हारा तआकुब कर रहा हूँ मैं,
ये मोहब्बत की तौहीन गवारा कैसे हो,
इस एक तरफा नाते को अब तकमील कर रहा हूँ मैं,
तुम समझे नहीं के ख़ुलूस क्या है,
मैं तो समझा था के अपने इश्क से तुम्हे मुतआस्सिर कर रहा हूँ मैं,
मुतमईन हूँ अपनी मोहब्बत से तो मैं,
के अब तक भी तुम्हे इश्क के लिए यत्न कर रहा हूँ मैं,
खैर! अब इस नाते को तकमील कर रहा हू मैं...!!!

©Virat Tomar #तकमील #ख़ुलूस 

#alone