निगाहें मिलाने का ख्या़ल था
आरजू थी आज एक अनोखी मुलाकात का,
देखता मैं जी भर कर उनको उनके चेहरे से घूंघट उठा कर
डूबता नैनन में उनके सुन आवाज मृदुलता में खो जाता ,
देख कर उनको जी भर ,उनको प्रीत का एक गीत देना
रीति -प्रथा निभाते हुए नतमस्तक समक्ष उनके हो जाते,