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कर घूंघट का पहरा आज चांद मेरा जमीं पर आया था सुर्ख

कर घूंघट का पहरा आज चांद मेरा जमीं पर आया था
सुर्ख गुलाबी अधर थे उसके नैनों में हया उसके समाया था,

पुष्प गुलाब की चुरा खुशबू आज वो महक रहे थे
पुष्प सरोज की भांति रूप उनके गमक रहे थे..!! निगाहें मिलाने का ख्या़ल था
आरजू थी आज एक अनोखी मुलाकात का,

देखता मैं जी भर कर उनको उनके चेहरे से घूंघट उठा कर
डूबता नैनन में उनके सुन आवाज मृदुलता में खो जाता ,

देख कर उनको जी भर ,उनको प्रीत का एक गीत देना
रीति -प्रथा निभाते हुए नतमस्तक समक्ष उनके हो जाते,
कर घूंघट का पहरा आज चांद मेरा जमीं पर आया था
सुर्ख गुलाबी अधर थे उसके नैनों में हया उसके समाया था,

पुष्प गुलाब की चुरा खुशबू आज वो महक रहे थे
पुष्प सरोज की भांति रूप उनके गमक रहे थे..!! निगाहें मिलाने का ख्या़ल था
आरजू थी आज एक अनोखी मुलाकात का,

देखता मैं जी भर कर उनको उनके चेहरे से घूंघट उठा कर
डूबता नैनन में उनके सुन आवाज मृदुलता में खो जाता ,

देख कर उनको जी भर ,उनको प्रीत का एक गीत देना
रीति -प्रथा निभाते हुए नतमस्तक समक्ष उनके हो जाते,

निगाहें मिलाने का ख्या़ल था आरजू थी आज एक अनोखी मुलाकात का, देखता मैं जी भर कर उनको उनके चेहरे से घूंघट उठा कर डूबता नैनन में उनके सुन आवाज मृदुलता में खो जाता , देख कर उनको जी भर ,उनको प्रीत का एक गीत देना रीति -प्रथा निभाते हुए नतमस्तक समक्ष उनके हो जाते,