आज एक लड़की, दिल में घर कर गयी जलती दोपहर को, ठंडी सहर कर गयी नज़रें उठाई, उठा कर फिर झुका ली बिन कहे, बिन मांगे, कैसे दिल चुरा ली गुज़री वो सामने से, कुछ ऐसे मुस्कुराकर छीन लिया मुझको मुझसें, चुम्बक लगा कर जाते जाते, फिर अचानक से पलटी ऐसे मैंने आहिस्ते, पलटने को कहा हो जैसे दूर से शरमाते हुए,फिर से वो मुस्कुराई लगा, जैसे जेठ में सावन की घटा छाई बैठके मेरे दिल में, मुझको बेघर कर गयी आज एक लड़की,दिल में घर कर गयी.... ©NEERAJ PATIDAR #ekladki #together