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साहिर शाज़िया को पसंद करता था लेकिन जानता था, शाज़िय

साहिर शाज़िया को पसंद करता था लेकिन जानता था, शाज़िया क्लास में सबसे तेज़ लड़के काशिफ़ को पसंद करती थी। वो वाक़ई पढ़ने में तेज़ था जो शाज़िया को इम्प्रेस करने के लिए काफ़ी था। 
शाज़िया के लिए सबसे अहम था पढ़ाई में तेज़ होना। काशिफ़ हमेशा सबसे आगे रहता।
वक़्त के साथ दोनों में प्यार हो गया। दोनों साथ साथ राहे इश्क़ पर सफ़र करने लगे। 
काशिफ़ तेज़ था लिहाज़ा थोड़ा आगे हो गया। उसने आगे बढ़कर निदा का दामन थाम लिया लेकिन काशिफ़ आगे भी नही रुका उसका ये सिलसिला चलता रहा। वो तेज़ था बहुत तेज़।
शाज़िया अब सोचती है की बेहतर दुनिया तेज़ी से नही हौले से चलती है। साहिर अब सोचता है की धीरे चलने से मंज़िले छूट जाती है। #faiq❤️🙏
साहिर शाज़िया को पसंद करता था लेकिन जानता था, शाज़िया क्लास में सबसे तेज़ लड़के काशिफ़ को पसंद करती थी। वो वाक़ई पढ़ने में तेज़ था जो शाज़िया को इम्प्रेस करने के लिए काफ़ी था। 
शाज़िया के लिए सबसे अहम था पढ़ाई में तेज़ होना। काशिफ़ हमेशा सबसे आगे रहता।
वक़्त के साथ दोनों में प्यार हो गया। दोनों साथ साथ राहे इश्क़ पर सफ़र करने लगे। 
काशिफ़ तेज़ था लिहाज़ा थोड़ा आगे हो गया। उसने आगे बढ़कर निदा का दामन थाम लिया लेकिन काशिफ़ आगे भी नही रुका उसका ये सिलसिला चलता रहा। वो तेज़ था बहुत तेज़।
शाज़िया अब सोचती है की बेहतर दुनिया तेज़ी से नही हौले से चलती है। साहिर अब सोचता है की धीरे चलने से मंज़िले छूट जाती है। #faiq❤️🙏