मेरी तबाही तो देखी है तुमने है तेरी तबाही भी दूर नहीं तेरा साथ तो क्या परछाई परे मुझपे अब ये भी हमें मंजूर नहीं... मेरी सियाही खतम हो चुकी है नाम तेरा लिख मिटाते हुए लगा लूं गले गम भूला के तुझे हुआ इतना भी मैं मजबूर नहीं... तेरी बराई मैं करता रहूं है जन्नत की तू कोई हूर नहीं जुड़ने दूं तेरा नाम मेरे नाम के साथ मुझे करना तुझे मशहूर नहीं. (89) Genius 2.0 ©Mohd Asif (Genius) #asifgenius