मुठ्ठी से रेत सा फिसलते चलोगे तो कैसे चलेगा तुम जिन्दग़ी हो न , ख़ुदही से यूं रूठ के चलोगे तो कैसे चलेगा माना शोर ज्यादा है, आवाज़ तख्त तक न जाती होगी.... तुम ख़ुदा हो न , इनायतें गिन गिन के करोगे तो कैसे चलेगा दरारें पड़ गई हैं माना जर्जर भी हो गए हो थोड़ा सा ही अब कहीं तुम ख़ुद में बचे हो मगर इन शिलवटों को चुपके से ना सिलो तो कैसे चलेगा ख़ामोश होने से पहले इतना ख़ामोश रहोगे तो कैसे चलेगा चलो छोड़ो ये महज़ कागज़ी बाजियां हैं; जो गिरफ्त में ना रख सकें वो कैसी कड़ियां हैं ? यूं ताउम्र शिकस्त आईने को देते रहे तो कैसे चलेगा तुम ख़ुद आईना हो न अंजलि फ़िर ताउम्र तुम ख़ुद ही से ना मिलो तो कैसे चलेगा ।।-Anjali Rai ( शेरनी❤️) #ख्वाहिशें_बेहिसाब_हैं .....🦋✍️ # जिन्दग़ी_गुलज़ार_है शुक्रिया तहे दिल से याद करने के लिए आप सब का.............💐 Anishika Rathi Poetrylover Suraj Verma Tarun Saxena ji