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ओरत की हिफाज़त तो ज़िम्मेदारी है निगाहों की।। ये कपड़

ओरत की हिफाज़त तो ज़िम्मेदारी है निगाहों की।।
ये कपड़े, साड़ी बुर्खे सब बातें है बाद की।।
तुमको आसान लगता है यूँ जिम्मेदार ठहरा देना एक ओरत के पहनावे को, 
हम तो यूँ कठिनाइयों से ही जिम्मेदार ठहरा पाते है तुम्हारी सोच को।।
पता नही कैसे एक ओरत से ही जन्म लेकर तुम।।
एक ओरत का ही जन्म तार तार कर देते हो।।
पता नही कैसे एक ओरत की छाया में ही रहकर,
एक ओरत का ही स्वतंत्र रहना दुश्वार कर देते हो।।
देखते है कब तक स्त्री निर्भया तक सीमित रहेगी।।
एक न एक दिन फूलन देवी बनके तुम्हारा संघार करेगी।।
                                    ✍️रेणुका तिवारी Women's week
ओरत की हिफाज़त तो ज़िम्मेदारी है निगाहों की।।
ये कपड़े, साड़ी बुर्खे सब बातें है बाद की।।
तुमको आसान लगता है यूँ जिम्मेदार ठहरा देना एक ओरत के पहनावे को, 
हम तो यूँ कठिनाइयों से ही जिम्मेदार ठहरा पाते है तुम्हारी सोच को।।
पता नही कैसे एक ओरत से ही जन्म लेकर तुम।।
एक ओरत का ही जन्म तार तार कर देते हो।।
पता नही कैसे एक ओरत की छाया में ही रहकर,
एक ओरत का ही स्वतंत्र रहना दुश्वार कर देते हो।।
देखते है कब तक स्त्री निर्भया तक सीमित रहेगी।।
एक न एक दिन फूलन देवी बनके तुम्हारा संघार करेगी।।
                                    ✍️रेणुका तिवारी Women's week