परिंदा मैं एक परिंदा जो कभी ना किसी का हुआ ना कभी किसी को समझ आया, लोगो ने खूब सताया खुब गिराया, मैं था वो परिंदा जो लोगो को कर नजर अन्दाज चलता चला। ना मैंने हारना सिखा, ना हि टुटना मैं वो परिंदा हु जिसने सिर्फ और सिर्फ उड़ना सिखा, बहोत लोगो ने साथ निभाया तो बहोत लोगो ने फायदा उठाया,मैने किसी का कभी बुरा ना चाहया, लोगो की आँखो में नफरत थी , मेरी आखों मेरे सपने जिसे पाने के लिये मै अकेला हि चलता चला,ना कोई ठीकाना पता ना हि कोई मंजिल बस इतना है पता, कुछ कर गुजरना हैं, मुझे रुकना नही मुझे चलते चलना हैं। मुझे ऊडते रहना हैं। ना कभी रुकुगा ना हि कभी हारुगा , भटकते भटकते हि सही मुझे ये आसमान जितना हैं। ✍विवेक जैन #parinda #aashman #nojoto #myword #jaani