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मुझको कहाँ नसीब है अब तेरी दुल्हन होना हँसते हँसते

मुझको कहाँ नसीब है
अब तेरी दुल्हन होना
हँसते हँसते स्वीकृत है
बस तेरी बिरहन होना
न राधा मैं,न रुकमणि 
मीरा सी जोगन होना
#तृषा

©रश्मि
मुझको कहाँ नसीब है
अब तेरी दुल्हन होना
हँसते हँसते स्वीकृत है
बस तेरी बिरहन होना
न राधा मैं,न रुकमणि 
मीरा सी जोगन होना
#तृषा

©रश्मि