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आज मैं सूबह उठा , सोचने लगा दुनिया के बारे में, कै

आज मैं सूबह उठा ,
सोचने लगा दुनिया के बारे में,
कैसे जाते हैं हम 
कैसे लगी रहती ये प्रकृति हमारे सहारे में ।
मैं टहल रहा था सड़क पर ,
और हवा की ठंडी झलक आयी ,
सूरज अब निकलने को था ,
चिड़ियो की आवाज़ कहीं दूर दूर तक आयी।।

©Rudra chhattarpal singh shandilya रूद्र छत्रपाल सिंह शांडिल्य 

#sunrays
आज मैं सूबह उठा ,
सोचने लगा दुनिया के बारे में,
कैसे जाते हैं हम 
कैसे लगी रहती ये प्रकृति हमारे सहारे में ।
मैं टहल रहा था सड़क पर ,
और हवा की ठंडी झलक आयी ,
सूरज अब निकलने को था ,
चिड़ियो की आवाज़ कहीं दूर दूर तक आयी।।

©Rudra chhattarpal singh shandilya रूद्र छत्रपाल सिंह शांडिल्य 

#sunrays

रूद्र छत्रपाल सिंह शांडिल्य #sunrays #कविता