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तपस्या घर परिवार में रहकर नियमित जीवन जीते हुए भी

तपस्या घर परिवार में रहकर नियमित जीवन जीते हुए भी हो सकती है श्री प्रधान और कृषि प्रधान संस्कृत होने से यहां के जनमानस ने तपस्या की इस अवधारणा को स्वीकार कर अपने सत्य संकल्पों को सिद्ध किया है इस संकल्प सिद्ध में शरीर की विभिन्न इंद्रियां सहभाग नहीं होती है क्योंकि वही विषय आग मेनी होकर जीवन को गन तब तक पहुंचाती है इसलिए इंद्रिया जीवन साधना की प्रथम और अंतिम सोपान है

©Ek villain #lonely #संकल्प सिद्धि में शरीर की सभी इंद्रियां काम की होती है
तपस्या घर परिवार में रहकर नियमित जीवन जीते हुए भी हो सकती है श्री प्रधान और कृषि प्रधान संस्कृत होने से यहां के जनमानस ने तपस्या की इस अवधारणा को स्वीकार कर अपने सत्य संकल्पों को सिद्ध किया है इस संकल्प सिद्ध में शरीर की विभिन्न इंद्रियां सहभाग नहीं होती है क्योंकि वही विषय आग मेनी होकर जीवन को गन तब तक पहुंचाती है इसलिए इंद्रिया जीवन साधना की प्रथम और अंतिम सोपान है

©Ek villain #lonely #संकल्प सिद्धि में शरीर की सभी इंद्रियां काम की होती है
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