चल,कुछ बीते हुए लम्हों की याद दिलाता हूँ... वही बदले से सुरों के दिन बताता हूँ... गर हो गई हो कोई खता मुझसे... बस, एक तेरी गलती की गज़ल सुनाता हूँ... Mukesh Jangid गलती अपनी अब उसके मुँह सुनते है... कुछ पन्नें अब अपने हाथ भी रखते है.... सुनाने बैठा है, हर गलती की वो गज़ल हमें.. चलो, हम भी उसकी गज़ल अब खुद को सँभाल कर सुनते है.... Akshita Jangid #NojotoQuote #collaboration