सफर सुहाने फ़ीके पड़ गये मंजिल धुंधली सी धिकती है डगर निहारते सदी हो गई मूरत तेरी दिल में बसती है, कभी-कभी तो ऐसा लगता है कि मेल हमारा नामुमकिन है तभी नीर से भरे नयन में उम्मीदों की सुबह जगती है।। बृजेन्द्र 'बावरा, #bawraspoetry #Lost #Quanda #UmeedShairy #Nojotohindi #hindishairy #NamumkinShairy #SafarShairy