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2 वर्ष की महामारी के बाद खेल खेलने आ रहा है वसंत इ

2 वर्ष की महामारी के बाद खेल खेलने आ रहा है वसंत इस शब्द के अचार के साथ ही रंगों को सूंघने एक बार पूर्व पूरा मौसम अंगड़ाई लेने लगता है वैसे तो बिजी बताता है और देने की चारे में रिट वह हमें कहीं प्रोग्राम में कुछ ना कुछ केवल प्रभावित करती है बल्कि सुख अनुभूति भी कराती हमारे लोग और पंचांग में वसंत ग्रामीण ही शुरू हुए तो श्राद्ध हेमंत और सुशील पितरों की रेत में मानी जाती हैं क्योंकि इसी ऋतु में गुड़ी पड़वा और चैत्र नवरात्रि पढ़ते हैं विक्रम संवत का अनीता ने वर्ष गुड़ी पड़वा से आरंभ होता है इसलिए गुड़ी पांडव का दिन नए विचार कभी प्रतिज्ञा करो ना महामारी के कारण लगाए गए देशव्यापी परिवेदना बताए जा रहे हैं इसलिए इस बार वसंत हर भारतीय के मन में आपके लिए करता हुआ उमड़ रहा है बसंत परिवर्तन के साथ लेकर आते हैं और उसके अनुभव घर आंगन में पतझड़ यानी पेड़ों से घिरे पत्तों से करता है और फिर वृक्षों की टहनियों में नई को पेल टूटती है पलाश के फूल 10 या गहरे लाल रंग के साथ खेल होते हैं हरियाली जंगल जंगल फूटने के अनुकूल अनुकूल दिखाई देते मौसम का यह बदलाव केवल प्राकृतिक में नहीं दिखता बल्कि मनुष्य के मस्तिष्क और शरीर में भी हलचल मच आता है पक्षियों में भी सुख का अहसास होता है हमारे ऋषि-मुनियों ने तो हजारों वर्ष पहले यह जान लिया था कि जो ब्राह्मण में है वही मन मस्तिक में है अतः बरामद यह सभी हलचल समूचे जीवन जगत को प्रभावित करती है इस प्राकृतिक तद्भव को वैज्ञानिक ने भी स्वीकार कर लिया है इसलिए मार्गदर्शन में मनुष्य की चेतना नहीं मानी गई है जहां वे सृष्टि के भीतर अनुभव करें प्राचीन संस्कृत साहित्य में सृष्टि और जीवन को लेकर गंभीर और जीवन यापन हुआ है

©Ek villain #महामारी के बाद आता बसंत

#Hope
2 वर्ष की महामारी के बाद खेल खेलने आ रहा है वसंत इस शब्द के अचार के साथ ही रंगों को सूंघने एक बार पूर्व पूरा मौसम अंगड़ाई लेने लगता है वैसे तो बिजी बताता है और देने की चारे में रिट वह हमें कहीं प्रोग्राम में कुछ ना कुछ केवल प्रभावित करती है बल्कि सुख अनुभूति भी कराती हमारे लोग और पंचांग में वसंत ग्रामीण ही शुरू हुए तो श्राद्ध हेमंत और सुशील पितरों की रेत में मानी जाती हैं क्योंकि इसी ऋतु में गुड़ी पड़वा और चैत्र नवरात्रि पढ़ते हैं विक्रम संवत का अनीता ने वर्ष गुड़ी पड़वा से आरंभ होता है इसलिए गुड़ी पांडव का दिन नए विचार कभी प्रतिज्ञा करो ना महामारी के कारण लगाए गए देशव्यापी परिवेदना बताए जा रहे हैं इसलिए इस बार वसंत हर भारतीय के मन में आपके लिए करता हुआ उमड़ रहा है बसंत परिवर्तन के साथ लेकर आते हैं और उसके अनुभव घर आंगन में पतझड़ यानी पेड़ों से घिरे पत्तों से करता है और फिर वृक्षों की टहनियों में नई को पेल टूटती है पलाश के फूल 10 या गहरे लाल रंग के साथ खेल होते हैं हरियाली जंगल जंगल फूटने के अनुकूल अनुकूल दिखाई देते मौसम का यह बदलाव केवल प्राकृतिक में नहीं दिखता बल्कि मनुष्य के मस्तिष्क और शरीर में भी हलचल मच आता है पक्षियों में भी सुख का अहसास होता है हमारे ऋषि-मुनियों ने तो हजारों वर्ष पहले यह जान लिया था कि जो ब्राह्मण में है वही मन मस्तिक में है अतः बरामद यह सभी हलचल समूचे जीवन जगत को प्रभावित करती है इस प्राकृतिक तद्भव को वैज्ञानिक ने भी स्वीकार कर लिया है इसलिए मार्गदर्शन में मनुष्य की चेतना नहीं मानी गई है जहां वे सृष्टि के भीतर अनुभव करें प्राचीन संस्कृत साहित्य में सृष्टि और जीवन को लेकर गंभीर और जीवन यापन हुआ है

©Ek villain #महामारी के बाद आता बसंत

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Ek villain

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