आम का पेड़ Read in caption बसंत आगमन की सूचना देता था मेरे अंगने में खड़ा वह आम का पेड़,उसकी टहनियों पर झूलते मेरा बचपन बीता। न जाने कितने पक्षियों का आसरा था वह आम का पेड़, बसंत के आगमन पर खिल उठता था मंजरियों से ;मानो किसी नई नवेली दुल्हन को गहनों से लकदक कर दिया हो । उसके फल गर्मियों में शीतलता का अनुभव कराते थे , तपती दुपहरी में सब उसके नीचे सुकून पाते थे । अब मेरा गांव से नाता ना रहा बसंत का आना-जाना चलता रहा