इश्क़ के पहले ख़्वाब - ही - ख़्वाब देख दिल हर्षाया दिल झूम रहा ले अजनबी का याद सुनहरे सपने सजाया अजनबी को देंख जब दिल मुस्कुराया आँखों में चमक आया बस कुछ ही दिनों में ख़्वाब राख़ -ही- राख़ नज़र आया ।। Challenge-165 #collabwithकोराकाग़ज़ आज फिर आपको दो विषय दिए जा रहे हैं कोलाब करने के लिए। तो बताइए समूह को कि इश्क़ से पहले और इश्क़ के बाद क्या होता है। दोनों विषय एक लेखक भी लिख सकता है या फिर एक विषय पर लिखकर दूसरे लेखक को आमंत्रित कर सकता है। कोई शब्द सीमा नहीं है और जितने चाहो कोलाब कीजिए और जितनी चाहो काॅमेंट। परन्तु जितने कोलाब उतनी काॅमेंट। (Font=Eczar=13)