किसी किताब के भीगे हुए उन पन्नों की मानिंद जो खोलकर छू लो तो फट जाएँ और न खोलो तो सूखे नहीं.... थोड़े धुन्धले हर्फ़ और कागज़ की सबसे हल्की परत या यूँ कह लो फिर के सिगार के कश में बहती सी कतार और धूमिल सी होती इन साँसों की बयार इस कदर मन्द पड़ रही है ज़िन्दगी, इन दिनों...... किताब-ए-ज़िन्दगी...... ज़िन्दगी के पड़ाव 2019-20 #lockdown #coronavirus #poetrylights #artlights