शायर कहूं या कोई ग़ज़लकार आफताब कहूं या चांदनी का मेहताब,,, हर शब्द भी खुद में शुक्रगुजार है ऐसे कमाल के फनकार है,,, उर्दू भी खुद में गौरवान्वित है कलम की क्या खूब जादूगरी है,,, हर रचना से कर देते हैं ऐसे तालमेल जैसे उसी से जुड़ी कोई पंक्तियां है,,, मैं खुद को सौभाग्यशाली समझती हूं कि आप में कुछ लिख रही हूं💐🙏 शायद कहां से शुरू करूं और कहां से खत्म आपका मेरा सफर तो new join yq के शुरूवात में हो गया था,,, जितना आपको जाना समझा आप एक बेहतरीन शख्सियत हैं,,,,