मजदूर है हम मजदूरी करते है किसी के आगे माथा नहीं रगड़ते है पसीना बहा कर पाई पाई जमा करते है दो जून रोटी की खातिर इतनी मेहनत करते है पैसे वाले तो घर पर आराम करते है क्या फर्क पड़ता है उन्हे बच्चे हमारे तो भूखे सोते है, काम करेगे तो पैसा देंगे नहीं तो अपने घर की ओर हम रुख करते है कोई तो है हमारा इस जहाँ मे पानी पीकर हम लम्बा सफर तय करते है आने वाला वक्त तुम्हे भी नाच नचाएगा आज हम मजबूर है, कल तुम्हारा भी आएगा मागोगे तुम भीख अपने प्राण की ये पैसा तुम्हारे कोई काम ना आएगा ना लो बदुआ इस गरीब की भगवान एक दिन तुम्हे भी गरीब बनाएगा ! मजदूर है ham