जगमगाते शहर की रानाइयों में क्या न था, ढूँढ़ने निकला था जिसको बस वही चेहरा न था, हम वही, तुम भी वही, मौसम वही, मंज़र वही, फासले बढ़ जायेंगे इतने मैंने कभी सोचा न था। #Saim Khan# #International_Day_Of_Happiness