अब अच्छी नहीं लगती ये बरसात...?? तेरा मेरा ऐसे हाथ छोड़ देना। जैसे धूप का बादल आ जाने के बाद। मुझे नहीं पता था कि तू अकेले ही चली जाएगी। जहां चाह कर भी नहीं पहुंच सकते मेरे जज़्बात। अब अच्छी नहीं लगती ये बरसात। तो आख़िर क्यों चली आती हैं ये बरसात। तन्हा भीगता रहता हूं मै अकेला होती रहती है मेरी आंखो से बरसात अब चाह कर भी भूल नहीं पाता हूं तुम्हारे साथ बिताई वो खूबसूरत सी बरसात अब अच्छी नहीं लगती ये बरसात तो आखिर क्यों चली आती है ये बरसात अब जो तेरी याद से बाहर निकलूं तो ही जमाना देखूं। तू ही बता मुझको मै तेरे बगैर कैसे ये मौसम सुहाना देखूं। अब आती नहीं है तो सिर्फ तू। और हर साल चली आती है ये बरसात। अब अच्छी नहीं लगती ये बरसात। तो आखिर क्यों चली आती है ये बरसात। ...!!sakeb Shaikh आखिर क्यों चली आती हैं ये बरसात...?? वो तेरा बारिश में भीगना, मेरे बार बार मना करने पर, तेरा मुझे पानी में खीचना... जब कभी - कभी मेरा वक़्त बे वक़्त बारिश में भीग कर घर आना,, फिर उसपर तुम्हारा वो प्यारा सा रूट जाना,,