*तू मूझे नवाज़ता है, ये तेरा करम है मेरे खुदा,* *वरना तेरी मेहरबानी के लायक मेरी इबादत कहाँ,* *रोज़ गलती करता हू, तू छुपाता है अपनी बरकत से,* *मै मजबूर अपनी आदत से, तू मशहूर अपनी रेहमत से!* *तू वैसा ही है जैसा मैं चाहता हूँ..I* *बस.. मुझे वैसा बना दे जैसा तू चाहता है* ©rahul verma #Hopeless Rahul verma