नील अम्भर सा कोई, घर बना गया बीराने में कौन भा गया किसी को, या हो गया ये अंजाने में एक चमक ख्यालों की थी, या बातों का था कुछ असर उमीदों की परछाईं थी,या रह गयी थी, कुछ कसर कुछ अधूरी थी बातें ,या शब्द थे ,कुछ अनकहे मिल रहे थे, ख्यालात और बन रहे थे,कुछ जज्बात दूरी की एक डोर थी, पर छत एक नीलाम्बर सा था रास्ता भले न मिलता हो पर मंजिलो का ,मुसाफिर एक और था. मिला ना था दिल जिससे कभी पर दिल में उठ रहे उनके लिए कुछ सवाल थे, हकीकत में सब शून्य था, पर न जाने क्यों ये ख्याल था. नील अंबर सा........ ©पथिक.. #नील+अंबर#एक ख्याल