एक पुराना ख़्वाब था जो, मेरी आँखों में मँडराता था। साँझ-सबेरे मुझको हरपल, उसकी याद दिलाता था। उसकी यादें दिल में बसाकर, मैं हरपल ही रखती थी। उसको मेरी परवाह न थी, वो हरपल मुझे रुलाता था। उसके दिल में अब मेरे लिए, शायद कोई जगह न थी। तभी तो वो अब मुझसे शायद, झूठा प्यार जताता था। मैंने कोई शर्त ना रखी, कभी अपने प्यार की ख़ातिर। फिर भी वो क्यूँ जाने मुझको, हरपल ही ठुकराता था। उसको अपना जान था माना, मैंने दिल से प्यार किया। उसने मुझको कभी न चाहा, वो हरदम ही तड़पाता था। ♥️ Challenge-804 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।