वोह छूट गई जो राह में, कुछ नज़रे तुमसे वो आज भी मिलने को बेकरार है तुमसे कभी अधूरे ख्वाब भी पूरे कर लिया करो जो ख्वाब कभी मैंने जोड़ा था तुमसे माना की आगे बढ़ने का नाम है ज़िंदगी, मगर कभी जुड़ी थी मेरी जिंदगी तुमसे वें पन्ने जो कभी पढ़ने को मोड़ा था तुमने वे पन्ने आज भी कुछ कहते है मुझसे। ©कुमार अमित #ऐज़िंदगीnojoto.com#शायरीगजल#quotes#कुमारामित# #Journey