वो सावन का महीना गुजर गया, वो वादों की बारिश थम गई, तेरे आनें से तसल्ली मिली थी दिल को, वो खुशियों की ख्वाहिश सीने मे जम गई, बदलते मौसमो को देखता रहा हु मैं, आज इंसानों की असलियत फिरसे खुल गई, वो सावन का महीना गुजर गया, वो वादों की बारिश थम गई... हमें भी नींद आती थी किसी जमाने मे, अब तो गुजरते हैं दिन बस अफ़साने में, मुस्कुरा लेते थे यू ही तन्हा तन्हाई में, अब तकल्लुफ नही होती गम छुपाने में, सफर की यही इंतेहा है शायद, खुशनुमा पल यादों में बिखर गई, वो सावन का महीना गुजर गया, वो वादों की बारिश थम गई.... नुमाइश का ज़माना है, आजमाइश किसे दिखाना है, अब महफ़िलो में होती है बातें, इश्क़ बस फ़साना है, नसीहत हर किसी की जुबां पे क़ायम है, दौर ए इश्क़ जैसे कोई क़ब्र बन गई, वो सावन का महीना गुजर गया, वो वादों की बारिश थम गई...#Dj_alone