आज सूरज ढलने से पहले ही अंधेरा गहरा छाया है , आज पहली दफा आंख में आंसू कोई आया है। क्या ख़ाक काम का ये जमाना ख़ाक के माफिक काम इसके, क्योंकि मेरा बिखरा टूटकर तिनका तिनका और आज तक कोई समेट न पाया है आज सूरज ढलने से पहले ही अंधेरा गहरा छाया है , आज पहली दफा आंख में आंसू कोई आया है। दुःख मे रोना हंसना खुशी में बस यही दो आदतें थी अब तक , आज कितने दिनों के बाद शालिनी दुःख में भी हंसना आया है आज सूरज ढलने से पहले ही अंधेरा गहरा छाया है , आज पहली दफा आंख में आंसू कोई आया है। -shalini sehgal #Morning #nojot #Hindi #poem #urdu #Poetry